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परीक्षण के प्रकार

आजकल संगठनों में मनोवैज्ञानिक परीक्षण किए जाते हैं तभी चयन, पदस्थापना, स्थानांतरण तथा पदोन्नति सम्बन्धी निर्णय लिए जाते हैं। परीक्षण तब प्रभावी होता है जब उम्मीदवार पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हों।
परीक्षण उस समय भी किए जाते हैं जब छात्रों को किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेना हो। इसी तरह, कर्मचारियों के चयन, पदस्थापना, पदोन्नति, स्थानांतरण एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी निर्णय के लिए भी परीक्षण की मदद ली जाती है। परीक्षण इस धारणा पर आधारित होते हैं कि कोई भी दो लोग व्यक्तित्व तथा बुद्धिमता में समान नहीं होते। उनका मनोवैज्ञानिक स्वभाव, परीक्षण से जाँचा जाता है। इस परीक्षण का उद्देश्य किसी विशेष स्थिति में उम्मीदवार की योग्यता का मापन करना है।

परीक्षणों की विशेषताएं

परीक्षणों में प्रायः निम्न विशेषताएं होती हैं-

1.परीक्षणों का उपयोग इस मान्यता पर आधारित है कि बुद्धिमानी, योग्यताओं एवं दृष्टिकोण, व्यक्तिगत के संदर्भ में कोई भी दो व्यक्ति एक समान नहीं होते हैं।

2.एक परीक्षण जॉब की सफलता के मापदंड के रूप में एक व्यक्ति की योग्यता को मापता है।

3.एक परीक्षण इस मायने में विश्वसनीय होता है कि यह मापन की एक श्रृंखला के दौरान समान अंक देता है।

4.एक परीक्षण को चयन प्रक्रिया में एक अतिरिक्त कारक के रूप में प्रयोग किया जाता है एवं इसे एक उम्मीदवार के चयन के एकमात्र आधार के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए।

लाभ

1.इनसे व्यक्ति की इस प्रतिभा का भी मूल्यांकन हो जाताअन्यथा ध्यान में नहीं आती।

2.मनोवैज्ञानिक परीक्षण से व्यक्ति की कार्य विशेष में सफलता का आंकलन किया जा सकता है।

3.एक ही परीक्षण से एक साथ कई लोगों का मूल्यांकन किया सकता है तथा थोड़े ही समय में जानकारी प्राप्त की जा सकता है।

4.चयन प्रक्रिया के दौरान गलत निर्णय की संभावना कम हो जाती है।

परीक्षणों के उपयोग में सावधानियाँ

मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग कई उद्देश्यों से किया जाता अगर इनके माध्यम से योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जा सके तो ये सफल कहलाते हैं। इनके उपयोग में निम्न सावधानियाँ जरूरी हैं-

1. विश्वसनीय परीक्षण का उपयोग तभी करना चाहिए जब वह विश्वसनीय हो । परीक्षण तब विश्वसनीय कहलाता है जब वह अपेक्षित परिणाम देता है। अगर एक व्यक्ति द्वारा दो बार किए गए परीक्षण के परिणाम समान हो तो उसे विश्वसनीय कहा जायेगा। विश्वसनीयता की जाँच हेतु कई परीक्षण किए जा सकते हैं।

2. वैधता – वैधता का अर्थ है परीक्षण मे उसी चीज की जाँच करें जिसके लिए वह बनाया गया है। उदाहरण के लिए अगर कोई परीक्षण मजदूरों के कार्य प्रदर्शन की जाँच हेतु बनाया गया है तथा वह उसी बात की जाँच करता है तो वैध कहलाएगा। इसके द्वारा युक्तिसंगत परिणाम दिए जाने चाहिए।

3. मानक-परीक्षण मानक हो ताकि उसकी तुलना की जा सके। दूसरे शब्दों मे परीक्षण मानक स्थिति में लागू किया जाना चाहिए ताकि सही उम्मीदवार का चयन किया जा सके।

4. अन्य बिन्दु-उपरोक्त बातों के अतिरिक्त निम्न बिन्दुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए-

(i)महत्त्वपूर्ण कारकों को समुचित महत्त्व दिया जाना चाहिए।

(ii)परीक्षण की रचना अनुभवी लोगों द्वारा की जानी चाहिए।

(iii)अकेले एक परीक्षण पर निर्भर रहने की बजाए चयन हेतु उसे पूरक की तरह इस्तेमाल करना चाहिए।

(iv)हर संगठन की आवश्यकता तथा परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं। अतः परीक्षण की वैधता पहले ही जाँच लेना चाहिए।

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